Thursday, December 22, 2011

अच्छी किस्मत भी बुरा फल देने वाली होती है अगर

अगर आपकी कुंडली के सितारे विपरित स्थिति में होते है तो अच्छी किस्मत भी बुरा बन जाती है। ज्योतिष में पिता-पुत्र, सूर्य-शनि को एक दूसरे का शत्रु माना गया है। कुंडली में सूर्य की उच्च राशि मेष में शनि बुरा फल देने वाला होता है वहीं शनि की उच्च राशि तुला में सूर्य भी बुरा फल देता है।  

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि एक साथ एक ही भाव में स्थित हो तो अधिकांशत: इसके बुरे प्रभाव ही झेलने पड़ते हैं।

सूर्य-शनि की युति कुंडली के कुछ भावों में शुभ फल दे सकती है लेकिन कुंडली के प्रमुख भावों में अशुभ फल ही देने वाली रहेगी। 

कुंडली का पहला भाव, चौथा भाव, सातवां और दसवां भाव ये चार प्रमुख घर होते हैं, जिनमें सूर्य-शनि अशुभ फल देते हैं।



- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि लग्न में स्थित है तो वह व्यक्ति दुराचारी, बुरी आदतों वाला, मंदबुद्धि और पापी प्रवृत्ति का होता है।

- यदि शनि और सूर्य चतुर्थ भाव में है तो व्यक्ति नीच, दरिद्र और भाइयों तथा समाज में अपमानित होने वाला होता है।

- यदि सूर्य और शनि सप्तम भाव में स्थित है तो व्यक्ति आलसी, भाग्यहीन, स्त्री और धन से रहित, शिकार खेलने वाला और महामूर्ख होता है।

- यदि दशम भाव में यह दोनों ग्रह स्थित हो तो व्यक्ति विदेश में नौकरी करने वाला होता है। यदि इन्हें अपार धन की प्राप्ति भी हो जाए तो वह चोरी हो जाता है।

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