Wednesday, July 15, 2015

अंकीय भारत (डिजिटल इण्डिया)

अंकीय भारत (डिजिटल इण्डिया)
अंकीय भारत डिजिटल इण्डिया सरकारी विभागों एवं भारत के लोगों को एक दूसरे के पास लाने की भारत सरकार की एक पहल है। जिसका उद्देश्यि भारत को डिजिटल लिहाज से सशक्तं समाज और ज्ञान अर्थव्यंवस्था  में तब्दील करना है। इसके तहत जिस लक्ष्यो को पाने पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है वह है भारतीय प्रतिभा (आईटी) + सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) = कल का भारत (आईटी)। जिसके तहत सरकारी विभागों को देश की जनता से जोड़ना है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिना कागज के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुंच सकें। इस योजना का एक उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना भी है यह तरह-तरह के आइडिया और विचारों को एकल एवं व्यापक विज़न में समाहित करता है ताकि इनमें से हर विचार एक बड़े लक्ष्य  का हिस्सा  नज़र आए। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का समन्वेय डीईआईटीवाई द्वारा किया जाना है। वहीं इस पर अमल समूची सरकार द्वारा किया जाना है।
डिजिटल इंडिया का विज़न तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केन्द्रित है। ये हैं हर नागरिक के लिए उपयोगिता के तौर पर डिजिटल ढांचा,मांग पर संचालन एवं सेवाएं और नागरिकों का डिजिटल सशक्तिाकरण।
योजना को 2019 तक कार्यान्वयित करने का लक्ष्य है। एक टू-वे प्लेटफॉर्म का निर्माण किया जाएगा जहाँ दोनों (सेवा प्रदाता और उपभोक्ता) को लाभ होगा। यह एक अंतर-मंत्रालयी पहल होगी जहाँ सभी मंत्रालय तथा विभाग अपनी सेवाएं जनता तक पहुंचाएंगें जैसे कि स्वास्थ्य शिक्षा और न्यायिक सेवा आदि। चयनित रूप से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल को अपनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय सूचना केंद्र के पुनर्निर्माण की भी योजना है। यह योजना मोदी प्रशासन की टॉप प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में से एक है। यह एक सराहनीय और सभी साझेदारों की पूर्ण समर्थन वाली परियोजना है। जबकि इसमें लीगल फ्रेमवर्क, गोपनीयता का अभाव, डाटा सुरक्षा नियमों की कमी, नागरिक स्वायत्तता हनन तथा भारतीय ई-सर्विलांस के लिए संसदीय निगरानी की कमी तथा भारतीय साइबर असुरक्षा जैसी कई महत्वपूर्ण कमियाँ भी हैं। डिजिटल इंडिया को कार्यान्वयित करने से पहले इन सभी कमियों को दूर करना होगा।
हर नागरिक के लिए उपयोगिता के तौर पर डिजिटल ढांचे में ये उपलब्‍ध हैं- नागरिकों को सेवाएं मुहैया कराने के लिए एक प्रमुख उपयोग के रूप में हाई स्‍पीड इंटरनेट, डिजिटल पहचान अंकित करने का ऐसा उद्गमस्‍थल जो अनोखा, ऑनलाइन और हर नागरिक के लिए प्रमाणित करने योग्‍य है, मोबाइल फोन व बैंक खाते की ऐसी सुविधा जिससे डिजिटल व वित्‍तीय मामलों में नागरिकों की भागीदारी हो सके, साझा सेवा केन्‍द्र तक आसान पहुंच, पब्‍लिक क्‍लाउड पर साझा करने योग्‍य निजी स्‍थान और सुरक्षित साइबर-स्‍पेस।
सभी विभागों और न्यायालयों में मांग पर समेकित सेवाओं समेत शासन और सेवाओं, ऑनलाइन और मोबाइल प्लेटफॉर्म पर सही समय पर सेवाओं की उपलब्धता, सभी नागरिकों को क्लाउड एप पर उपलब्ध रहने का अधिकार है। डिजिटल तब्दील सेवाएं के जरिये व्यवसाय में सहजता करने, इलेक्ट्रॉनिक और नकदी रहित वित्तीय लेन-देन करने, निर्णय सहायता सिस्टम और विकास के लिए जीआईएस का फायदा उठाना।
नागरिकों को डिजिटल सशक्त बनाने के साथ में सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता, सर्वत्र सुगम डिजिटल संसाधनों, डिजिटल संसाधनों/सेवाओं की भारतीय भाषाओं में उपलब्धता, सुशासन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्मों और पोर्टबिलिटी के सभी अधिकारों को क्लाउड के जरिये सहयोगपूर्ण बनाना। नागरिकों को शासकीय दस्तावेजों या प्रमाण-पत्रों आदि को उनकी मौजूदगी के बिना भी भरा जा सकेगा।
डिजिटल इण्डिया में नौ घटक जो निम्नलिखित है-
ब्राडबेण्ड हाई-वे,
मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए सार्वभौमिक ऐक्सेस,
जनता इन्टरनेट ऐक्सेस कार्यक्रम,
ई-गवर्नेन्स तकनीकी के जरिये सरकार में सुधार,
ई-क्रान्ति- सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रदान करना,
सभी के लिए सूचनायें,
इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन,
नौकिरयों के लिए आईटी,
जल्दी पैदावार कार्यक्रम।
ये सभी एक मिश्रित कार्यक्रम है और सभी मंत्रालयों एवं सरकारी विभागों से जुड़े हुये है।
डिजिटल भारत कार्यक्रम के तहत कई मौजूदा योजनाओं के साथ मिलकर कार्य करना है, जिसके दायरों को पुर्नगठित और पुर्नकेन्द्रित किया गया है। क्लाउड, मोबाइल इत्यादि टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना, परिवर्तनकारी प्रक्रिया पुनर्रचना और प्रक्रिया में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना, अंत-प्रचालनीय उपक्रम और एकीकृत सेवा प्रदान करने के मानकों पर आधारित है और एक समकालिक ढंग से लागू किया जाएगा। डिजिटल इण्डिया के माध्यम से मेड इन इण्डियाइलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों, उत्पादकों और सेवाओं के पोर्टफोलियो को भी बढ़ावा देना और देश में युवाओं के लिए रोजगार की संभावना को बढ़ावा देना है।
हमारे प्रधानमंत्री के शब्दों में वक्‍त बहुत तेजी से बदल चुका है। पहले हम लोग कभी किसी परिवार में जाते थे और छोटे बच्‍चे से बात करते थे तो बच्‍चा क्‍या करता था? अगर आपका चश्‍मा है तो खींच के ले जाता था या आपकी जेब में पेन है तो उसको उठाता था। लेकिन आज आप मार्क करना कि वह न चश्‍मे को हाथ लगाता है न पेन को हाथ लगाता है वह आपका मोबाइल फोन छीनता है। मोबाईल फोन हाथ में आते ही ठीक से पकड़ता है, आप मार्क करना.. और अपना शुरू कर देता है और अगर, जैसा चाहे वैसा आपरेशन नहीं होता तो रोने लगता है यानी बाकी वह कुछ समझे या ना समझे डिजिटल ताकत को समझता है। समय की मांग है कि हम इस बदलाव को समझें और अगर हम इस बदलाव को नहीं समझेंगे तो हम कहीं पड़ रहेंगे कोने में दुनिया दूर चली जाएगी और हम देखते ही रह जायेंगे एक समय था कि सदियों पहले लोग बसते थे, नदी के तट पर। गांव बसते थे, शहर बसते थे नदी के तट पर या समुंदर के किनारे पर।
वक्‍त बदल गया बाद में जहां जहां से हाइवे गुजरते थे, शहर वहां बसना शुरू हुए लेकिन अब मानव जा‍ति वहीं पर बसेगी जहां से ऑप्टिकल फाइबर गुजरता होगा। ये बहुत बड़ा बदलाव आया है और इसलिए अगर विश्‍व के अंदर सवा सौ करोड़ का देश, अपनी ताकत का अहसास कराना चाहता है तो जो हजारो साल पुरानी महान संस्‍कति है.. हम सवा सौ करोड़ देश वासी हैं, हम 65 प्रतिशत 35 साल से कम उम्र के हैं, ये गीत गाने से बात बनने वाली नहीं है। ये जो भी विरासत है, जो सामर्थ्‍य है, उसके साथ आधुनिक विज्ञान को, आधुनिक टेक्‍नॉलॉजी को जोड़ना अनिवार्य है।
आधुनिक विज्ञान के माध्‍यम से कन्वर्शन इतना सरल होता है.. और जैसा अभी आपको प्रेसेंटेशन में बताया कि आज सरकार में 10 जगह पर 10 काम हैं तो सारे सर्टिफिकेट  दस जगह पर देने पड़ते हैं। अब वो सारी मुसीबत चली जाएगी। जब व्‍यवस्‍थाएं खड़ी हो जाएंगी तो आपके एक डिजिटल नंबर से उसको सारी चीजें उपलब्‍ध हो जाएंगी और कारोबार आगे चलता चला जाएगा। आने वाले दिनों में.. आज हम चर्चा करते हैं कि बच्‍चों को इतना बोझ उठाकर के स्‍कूल जाना पड़ता है। उनके बक्‍से में उनके वजन से ज्‍यादा किताबों का वजन होता है। इन बालकों की समस्‍या का समाधान भी डिजिटल इंडिया  में है। सारा सेलेबस  एक छोटे से एक़ुइपेमेट में वो अपने साथ लेकर के घूम सकता है। इसलिए कुछ लोग, ऐसी जब बात होती है तो उनको लगता है कि यह तो बड़ा इलीट क्लास के लिए काम है, बड़े लोगों के लिए काम है. हकीकत नहीं है। डिजिटल इंडिया के माध्‍यम से हम देश के नौजवानों कोinnovations के लिए आह्वान कर रहे हैं, कि आप आइए, इस चुनौती को स्‍वीकार कीजिए
डिजिटल इंडिया के सामने चुनौतियाँ
भारत सरकार की संस्था 'भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड' नेशनल ऑप्टिकल फाइबल नेटवर्क जैसी परियोजना को कार्यान्वयित करेगी जो डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की देखरेख करेगा। बीबीएऩएल ने यूनाइटेड टेलीकॉम लिमिटेड को 250,000 गाँवों को एफटीटीएच ब्रॉडबैंड आधारित तथा जीपीओएन के द्वारा जोड़ने का आदेश दिया है। यह 2017 तक (अपेक्षित) पूर्ण होने वाली डिजिटल इंडिया परियोजना को सभी आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराएगी।
डिजिटल इंडिया भारत सरकार की आश्वासनात्मक योजना है। कई कम्पनियों ने इस योजना में अपनी दिलचस्पी दिखायी है। यह भी माना जा रहा है कि ई-कॉमर्स डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट को सुगम बनाने में मदद करेगा। जबकि, इसे कार्यान्वयित करने में कई चुनौतियाँ और कानूनी बाधाएं भी आ सकती हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि देश में डिजिटल इंडिया सफल तबतक नहीं हो सकता जबतक कि आवश्यक बीसीबी ई-गवर्नेंस को लागू न किया जाए तथा एकमात्र राष्ट्रीय ई-शासन योजना (National e-Governance Plan) का अपूर्ण क्रियान्वयन भी इस योजना को प्रभावित कर सकता है। निजता सुरक्षा, डाटा सुरक्षा, साइबर कानून, टेलीग्राफ, ई-शासन तथा ई-कॉमर्स आदि के क्षेत्र में भारत का कमजोर नियंत्रण है। कई कानूनी विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बिना साइबर सुरक्षा के ई-प्रशासन और डिजिटल इंडिया व्यर्थ है। भारत ने साइबर सुरक्षा चलन ने भारतीय साइबर स्पेस की कमियों को उजागर किया है। यहाँ तक कि अबतक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा योजना 2013 अभी तक क्रियानवयित नहीं हो पायी है। इन सभी वर्तमान परिस्थियों में महत्वपूर्ण आधारभूत सुरक्षा को प्रबंधन करना भारत सरकार के लिए कठिन कार्य होगा। तथा इस प्रोजेक्ट में उचित ई-कचरा प्रबंधन के प्रावधान की भी कमी है।

लेखक: राष्ट्रीय सूचना विज्ञानं केंद्र के नेटवर्क इंजिनियर हैं

अजीत कुमार