Saturday, June 25, 2011

मुझे पाकर जानू मेरी मुस्कुरायी

एक लड़की हैं भोली सलोनी अकेली
वो परिओ की रानी हैं बिलकुल हैं भोली
उसके भोली सूरत का मैं बन बैठा दीवाना
मैं था दीवाना एक पागल आवारा
वो छुप छुप के देखना वो सज़ना सवारना
मेरी यादो के लेकर वो करवट बदलना
जाब मेरे सामने वो आ जाये
मुझे देखकर वो सपनों में खो जाये
काश यही होता ये राज कुमार मेरा
वो सपनो की दुनिया में मैं था तुम्हारा
वो सपनों का टूटना दो दिलो का जुटना
खुशियों तो बिखरा दी दो दिलो का मिलना
मुझे पाकर जानू मेरी मुस्कुरायी
खुशिया के सागर में प्रेम लहराई
 

No comments:

Post a Comment