Tuesday, June 21, 2011

"हाथ लगा के देख लो मैं भी तो ज़वान हूँ "

वो ज़माना क्या हुआ ज़ब हम कभी ज़वान थे
सारी दुनिया मेरे पीछे हसीनो के हम शान थे
ज़ब चल देते सड़क पर ऐसे वो आशिकाना मिजाज़ में
घुर घुर के देखते लोग ऐसा न देखा हो ख्वाब में
आँखों तो खुली की खुली ना मुह में आवाज़ हैं
कितनो तो चले गए ऐसे श्वाश रोक अंदाज़ में
क्या कहू अब कहू हाय रे वो दिन तारीख
लौट सको तो लौट आओ वो मेरी समय प्यारी
ऐसे थे अंदाज़ हमारी सोचता हूँ आज भी
आज कैसा हो गया हु कल जो एक राज़ थी
क्या हुआ आज भी मैं भी तो ज़वान हूँ
आज तो मैं नब्बे हूँ फिर भी अठारह के शान हूँ
नब्बे हुआ तो क्या हुआ अठारह जैसे ज़वान हूँ
हाथ लगा के देख लो मैं भी तो ज़वान हूँ

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