Sunday, May 22, 2011

तुझे देखकर मैं पागल हो जाता हूँ

तुझे देखकर मैं पागल हो जाता हूँ
तुझे देखकर मैं घायल हो जाता हूँ
पर कहू मैं किससे कायल हो जाता हूँ
तुझे देखकर मैं पागल हो जाता हूँ
वो नज़रो का चंचल वो बालो का कंपन
वो पैरो का छन छन घायल हो जाता हूँ
तुझे देखकर मैं पागल हो जाता हूँ
वो काली घटाए गिराए उठाये
वो  चंचल सी नज़रे गिराए शर्माए
उसे देखकर मैं घायल हो जाता हूँ
तुझे देखकर मैं पागल हो जाता हूँ
वो माथे की बिंदिया वो होंठो की लाली
ये चढ़ती ज़वानी की पल पल कहानी
उसे देखकर मैं घायल हो जाता हूँ
तुझे देखकर मैं पागल हो जाता हूँ
अब दिनों में सपना भी रातो में सपना
सपनो में सपना कायल हो जाता हूँ
उसे देखकर मैं घायल हो जाता हूँ
तुझे देखकर मैं पागल हो जाता हूँ

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