Wednesday, May 4, 2011

आते हैं मुस्कान लेकर चल देते हैं जान लेकर

मैं सोचने पर मजबूर हो जाता हूँ /
नींद नहीं आती हैं मैं खो जाता हूँ //

तब मैं कुछ लिखने की सोचता हूँ /
क्या लिखू उनको सोच के मैं खोता हूँ//

आजकल के लड़के बन बैठे हैं/
शरीफ लड़की को देखते नहीं रहते हैं करीब //

लड़की के भोली सूरत में रूप हैं मासूम सा/
मासूम का छाया नहीं रूप हैं कुरूप का //

आजकल के लडकिया उम्र अभी बारह हैं /
बारह अभी क्या हुआ बाईस से भी ग्यारह हैं //

ऐसे वो अंदाज़ हम कभी न देखे थे /
सोचते थे भोली भाली उम्र की निगाहों से //

हर लड़की हर लडको की प्रेम पास में बंद हैं /
पढाई की तो मारो गोली गले में नज़र बंद हैं //

हाथो में किताब लेकर चहरे पे मुस्कान लेकर /
शान कर अब ठान चल देती पहचान कर //

देखती हैं राह उनको हाथो में किताब लेकर
 आते हैं मुस्कान लेकर चल देते हैं जान लेकर

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