मैं सोचने पर मजबूर हो जाता हूँ /
नींद नहीं आती हैं मैं खो जाता हूँ //
तब मैं कुछ लिखने की सोचता हूँ /
क्या लिखू उनको सोच के मैं खोता हूँ//
आजकल के लड़के बन बैठे हैं/
शरीफ लड़की को देखते नहीं रहते हैं करीब //
लड़की के भोली सूरत में रूप हैं मासूम सा/
मासूम का छाया नहीं रूप हैं कुरूप का //
आजकल के लडकिया उम्र अभी बारह हैं /
बारह अभी क्या हुआ बाईस से भी ग्यारह हैं //
ऐसे वो अंदाज़ हम कभी न देखे थे /
सोचते थे भोली भाली उम्र की निगाहों से //
हर लड़की हर लडको की प्रेम पास में बंद हैं /
पढाई की तो मारो गोली गले में नज़र बंद हैं //
हाथो में किताब लेकर चहरे पे मुस्कान लेकर /
शान कर अब ठान चल देती पहचान कर //
देखती हैं राह उनको हाथो में किताब लेकर
आते हैं मुस्कान लेकर चल देते हैं जान लेकर
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