सुबह की सुईया चढ़ रही थी
मैं था एकदम ब्याकुल
सोच रहा था अपने सोच को
सुनहले मन के आँगन में
काश हो जाय यह सच सपना मेरा
दिल तो पागल हैं मेरा यारा
ऐसे में मैं क्या देखता हूँ
आँखों को यकीं नहीं होता
खुली की खुली राह जाती आँखे
सच होता यह सपना मेरा
ख़ुशी से था मैं पागल आवारा
तभी बिच में रुकावट आई
हम दोनों को हुयी खिचाई
हमने थोड़ी आँख चुरायी
उसने थोड़ी शर्म दिखाई
उसके बाद अब हाल हुआ बुरा
मन ने दिल को बहुत समझाया
प्यार करो उससे ही उतना
जितने सागर में पानी हैं उतना
अगर प्यार हैं सच्चा तेरा
आएगी बाहें फैलाकर
मैं था एकदम ब्याकुल
सोच रहा था अपने सोच को
सुनहले मन के आँगन में
काश हो जाय यह सच सपना मेरा
दिल तो पागल हैं मेरा यारा
ऐसे में मैं क्या देखता हूँ
आँखों को यकीं नहीं होता
खुली की खुली राह जाती आँखे
सच होता यह सपना मेरा
ख़ुशी से था मैं पागल आवारा
तभी बिच में रुकावट आई
हम दोनों को हुयी खिचाई
हमने थोड़ी आँख चुरायी
उसने थोड़ी शर्म दिखाई
उसके बाद अब हाल हुआ बुरा
मन ने दिल को बहुत समझाया
प्यार करो उससे ही उतना
जितने सागर में पानी हैं उतना
अगर प्यार हैं सच्चा तेरा
आएगी बाहें फैलाकर
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