शाम सुहाने आज की /
दिया मन झकझोर //
तुमसे भला कौन हसी/
भवरा भी शरमा जाये//
तुमको जो पत्थर देखे/
जान आना मामूली हैं //
ऐसे में भवरा बोले/
यह कली अलबेली हैं//
तुमको देखकर फूलो ने /
अपने मन में मुस्कराया//
कैसी कली हैं आज की /
देख चन्द्रमा शरमाया //
दिया मन झकझोर //
तुमसे भला कौन हसी/
भवरा भी शरमा जाये//
तुमको जो पत्थर देखे/
जान आना मामूली हैं //
ऐसे में भवरा बोले/
यह कली अलबेली हैं//
तुमको देखकर फूलो ने /
अपने मन में मुस्कराया//
कैसी कली हैं आज की /
देख चन्द्रमा शरमाया //
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