Friday, December 5, 2014

आदमी से लेकर मुर्गे की चोंच खाने वाले तानाशाह..

एडोल्फ हिटलरएडोल्फ़ हिटलर और उनके जैसे अन्य तानाशाहों के बारे में आप जानते ही होंगे. लेकिन आपको शायद नहीं पता होगा कि वो खाते क्या थे.
आइए इस नज़र ड़ालते हुए दुनिया भर में मशहूर तानाशाहों के खाने से जुड़ी आदतों के बारे में.
आप क्या खा रहे हैं. आप कैसे खा रहे है और आप किसके साथ खा रहे हैं. खाने का आपके मूड, आपकी अंतड़ियों और आपके नजरिए पर प्रभाव पड़ता है. विक्टोरिया क्लार्क और मेलिसा स्कॉट ने डिक्टेटर डिनर्स: अ बैड टेस्ट गाइट टु इंटरटेनिंग टाइरेंट्स के नाम से किताब लिखी है.
यह दुनिया के मशहूर तानाशाहों के पसंदीदा खाने, उनके खाने के तरीक़े और खाने को लेकर बरती जाने वाली सतर्कता को लेकर है.
आयु बढ़ने के साथ-साथ बहुत से तानाशाहों की चिंता अपने खाने की शुद्धता को लेकर बढ़ती गई. उत्तर कोरिया के किम इल सुंग के लिए चावल अलग से पैदा किया जाता था, जो ख़ास उनके लिए ही था. उन्होंने एक संस्थान बनवाया था, जिसका काम उनके जीवन को लंबा बनाने की तरकीबें सुझाना था.
सद्दाम हुसैन
रोमानिया की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख निकोलाई चाऊशेस्कू अपनी विदेश यात्रा के दौरान अपने खाने-पीने का सभी सामान अपने साथ ले जाकर मेज़बानों को चिढ़ाते थे. पड़ोसी देश यूगोस्लाविया के प्रमुख टीटो सब्जी के जूस को स्ट्रॉ से पीने की उनकी ज़िद देखकर हैरान रह गए थे.
अधिकांश तानाशाह नीचा दिखाने वाले और असभ्य थे. इसका मतलब यह होता है कि उनका पसंदीदा भोजन कुछ भी हो सकता है लेकिन बड़े और जाने माने रसोइयों द्वारा बनाया भोजन वो नहीं खा सकते थे.
तमाम विलासिताओं के बावज़दू टीटो को सूअर की चर्बी के टुकड़े बहुत पसंद थे. वहीं चाऊशेस्कू जब अपने घर पर होते थे तो मुर्गे का स्टू खाना पसंद करते थे, इस मुर्गे का कुछ भी फेंका नहीं जाता था, उसका पैर और चोंच तक पकाया जाता था.
पुर्तगाल के कैथोलिक एंटोनियो सालाज़ार को एक ख़ास तरह की मछली पसंद थी, जो उन्हें उनके बचपन की ग़रीबी की याद दिलाती थी. बचपन में एक मछली को उन्हें अपने सभी भाई-बहनों के साथ मिल-बांटकर खाना पड़ता था.
मशहूर तानाशाह एडोल्फ़ हिटलर, माओ त्से तुंग और बेनीटो मुसोलिनी को लगता था कि जो भारी-भरकम ज़िम्मेदारियां उन्होंने ले रखी हैं, उसका असर उनके पाचन तंत्र पर पड़ रहा है.
गैस की बीमारी की वजह से हिटलर शायद शाकाहारी हो गए थे. उन्होंने थियोडोर मारेल नाम के एक डॉक्टर को 28 अलग-अलग दवाओं के साथ हमेशा अपने साथ रहने का आदेश दिया था. इनमें से एक दवा बुल्गारिया के किसानों के 'मल' से बनती थी.
वहीं लगता है कि लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफ़ी अपने दुखों की वजह से शांत रहते थे. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मुसोलिनी की जांच करने वालों डॉक्टरों ने बताया था कि वो भयानक रूप से कब्ज़ से पीड़ित थे.
माओ त्से तुंग मांस खाने के बड़े शौकीन थे. अपने शुरुआती दिनों में अपने एक साथी को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा था,'' मैं खाता भी अधिक हूं और निकालता भी अधिक हूं.'' एक बार जब वो स्टालिन से मिलने के लिए सोवियत संघ गए तो वहां उन्हें यह देखकर बहुत गुस्सा आया कि मास्को में उकड़ू होकर बैठने वाला शौचालय नहीं था.
स्टानिल अपने निजी निवास कुंटसेवो डाचा में खाने के समय स्वादिष्ट जार्जियन व्यंजनों से सजे खाने की मेज पर पांच-छह घंटे तक बैठे रहते थे.
फ्रेडिनिडा और इमेल्डा मार्कोस को स्टालिन के पावर प्ले से थोड़ा कम अनुभव था. इमेल्डा मार्कोस ने एक बार फिलीपींस की सेना के सभी बड़े अधिकारियों को अपने पति के जन्मदिन पार्टी के लिए एक तरह के कपड़े पहनकर आने का आदेश दिया.
शाकाहारी हिटलर खाने के मेज पर अपने साथियों से इस बात पर चर्चा किया करते थे कि यूक्रेन के बूचड़खाने में क्या चल रहा है, यह एक ऐसा विषय था जिसकी वजह से उनका मांसाहारी मेहमान अपने खाने को पूरा नहीं खा पाता था.
वहीं सेंट्रल अफ़्रीका रिपब्लिक के जीन बेडेल बोकासा, ऊगांडा के ईदी अमीन, इक्वोटोरियल गुएना के फ़्रांसिस्को नग्यूमा के नरभक्षी होने का संदेह था.
हम आपको चावल के साथ मानव अंगों को पकाने की विधि तो नहीं बता सकते हैं, जिसका हवाला बोकासा के एक पूर्व रसोइए ने दिया है. हालांकि यह रसोइया यह नहीं याद कर पाया कि जब बोसाका ने मानव अंगों से बनने वाले इस पकवान को उसे बनाने का आदेश दिया था, जिस शव से उसने इसे बनाया था वह महिला का था पुरुष का.
हम जिन तानाशाहों की बात कर रहे हैं, वो खाने से पहले अनिवार्य रूप से खाना चखने वालों को बुलाते रहते थे. पूरे युद्ध के दौरान हिटलर के पास 15 महिलाओं की एक टीम थी, जो उनका खाना चखती थी. ये महिलाएं जब खाना चख लेती थीं, उसके 45 मिनट बाद ही हिटलर को वह खाना परोसा जाता था.
इराक़ के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने अपने बेटे उदय को एक बार मारपीट कर जेल में इसलिए डाल दिया था, क्योंकि उन्होंने अपने पिता के एक खाना चखने वाले की हत्या कर दी थी.
रोमानिया के कम्युनिस्ट नेता निकोलाइ चाऊशेस्कू अपने उच्च पदस्थ सुरक्षा अधिकारी के बिना कभी यात्रा नहीं करते थे. उनका यह सुरक्षा अधिकारी एक केमिस्ट भी था, वो खाने की जांच करने वाली सचल प्रयोगशाला के साथ चलता था.
अंत में हमें यह भी पता है कि खाना चखने वालों की फौज, केमिस्ट, खाने का शौक और झक्कीपन भी इन तानाशाहों को बचा नहीं सका. अंत में इन सबकी मौत हुई और कुछ की मौत तो भयावह हुई.

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