२२ मई की रात थी, पहली मुलाकात थी
एक हसीना साथ थी, वह रात की क्या बात थी
वो हसीना आँख मारी, बीच सभा बैठकर
मैं जवा कहा कम था, ज़बाब दिया मुस्कुराकर
वो मुझे घूरने लगी, पल पल की राहों पर
प्यार की चादर बिछाकर, आँखों और निगाहों पर
मैं समझ रहा था, कुछ सोच में पड़ा था
क्या करू मैं उसका, आँख जो लड़ा था
उसी उसके साथ साथ में, रात भी कटने लगा
प्यार समझ में आ गया, इकरार बाकी रह गया
रात वह ख़त्म हो गयी, हमारा साथ छुट गया
हम दोनों के इंतज़ार में, एक दुसरे ने दम तोड़ दिया
प्यार की आस में, आज भी बैठे हैं हम
कभी तो वह आएगी, प्यार की मुस्कान लेकर
एक हसीना साथ थी, वह रात की क्या बात थी
वो हसीना आँख मारी, बीच सभा बैठकर
मैं जवा कहा कम था, ज़बाब दिया मुस्कुराकर
वो मुझे घूरने लगी, पल पल की राहों पर
प्यार की चादर बिछाकर, आँखों और निगाहों पर
मैं समझ रहा था, कुछ सोच में पड़ा था
क्या करू मैं उसका, आँख जो लड़ा था
उसी उसके साथ साथ में, रात भी कटने लगा
प्यार समझ में आ गया, इकरार बाकी रह गया
रात वह ख़त्म हो गयी, हमारा साथ छुट गया
हम दोनों के इंतज़ार में, एक दुसरे ने दम तोड़ दिया
प्यार की आस में, आज भी बैठे हैं हम
कभी तो वह आएगी, प्यार की मुस्कान लेकर
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