नशा हैं ख़ुशी
नशा हैं गम
नशा हैं ज़िन्दगी
तुम और हम
Thursday, July 7, 2011
Tuesday, July 5, 2011
अब समझ में आती नहीं
क्या मैं बोलू दिल बाते /
अब समझ में आती नहीं //
अब समझ में आती नहीं //
तेरी यादो में खोया रहता हूँ /
सोया सोया बस रहता हूँ //
अब मुझे आती नहीं हैं /
नींद की गहरायीया//
फिर भी मैं कैसे सो सकूँगा /
ले लेकर तन्हाईया//
तेरी यादे मुझे सताए /
आ जाओ मैं कैसे बताओ तुझे //
क्या पता हैं तुमको अब तो/
प्यार की तन्हाईयो को//
आज मैं खोया खोया हूँ/
सोच सोच के अभी अभी//
अब तो दिल धड्काओ ना ऐसे/
सोया सोया हूँ मैं//
क्या मैं बोलू दिल की बाते/
अब समझ में आती नहीं //
आज तुमने झलक दिखाया/
इसके में मैं खो गया //
अब क्या बतलाओ करू मैं क्या/
सपनो में मैं खो गया//
नींद खुली तो पता चला बस/
इतने में दिल रो दिया//
क्या मैं बोलू दिल की बाते /
अब समझ में आती नहीं //
Sunday, July 3, 2011
वो मुझे मालूम हैं,वो तुझे मालूम हैं
यादे कितनी मन में मेरे /
वो मुझे मालूम हैं //
वो मुझे मालूम हैं //
यादे कितनी मन में तेरे /
वो तुझे मालूम हैं//
जिस दिल में बैठी हैं तू/
नभ में मंच खड़ा हैं //
जो जितनी दिल दूर से /
उतना ही वही बड़ा हैं //
उस दिल की सुन्दर मंदिर में /
तेरा लघुतम चेहरा हैं //
मेरी सांसे करती रहती हैं /
नित प्रिय का अभिनन्दन //
मेरे छोटे जीवन में /
देना न तृप्ति का कण //
रहने दो प्यासी आँखे को/
जो तुझे देखता रहे //
जो तुम्हारा हो सके /
करलो हमसे आज //
खिल उठे मुस्कान तुम्हारी/
मेरी चेहरा देख के आज //
हस उठे एक पल में नयन /
धुल गया होंठो का प्यास //
छा गया जीवन में प्यार /
प्यार अंगरायी की साथ //
Friday, July 1, 2011
कभी तो वह आएगी, प्यार की मुस्कान लेकर
२२ मई की रात थी, पहली मुलाकात थी
एक हसीना साथ थी, वह रात की क्या बात थी
वो हसीना आँख मारी, बीच सभा बैठकर
मैं जवा कहा कम था, ज़बाब दिया मुस्कुराकर
वो मुझे घूरने लगी, पल पल की राहों पर
प्यार की चादर बिछाकर, आँखों और निगाहों पर
मैं समझ रहा था, कुछ सोच में पड़ा था
क्या करू मैं उसका, आँख जो लड़ा था
उसी उसके साथ साथ में, रात भी कटने लगा
प्यार समझ में आ गया, इकरार बाकी रह गया
रात वह ख़त्म हो गयी, हमारा साथ छुट गया
हम दोनों के इंतज़ार में, एक दुसरे ने दम तोड़ दिया
प्यार की आस में, आज भी बैठे हैं हम
कभी तो वह आएगी, प्यार की मुस्कान लेकर
एक हसीना साथ थी, वह रात की क्या बात थी
वो हसीना आँख मारी, बीच सभा बैठकर
मैं जवा कहा कम था, ज़बाब दिया मुस्कुराकर
वो मुझे घूरने लगी, पल पल की राहों पर
प्यार की चादर बिछाकर, आँखों और निगाहों पर
मैं समझ रहा था, कुछ सोच में पड़ा था
क्या करू मैं उसका, आँख जो लड़ा था
उसी उसके साथ साथ में, रात भी कटने लगा
प्यार समझ में आ गया, इकरार बाकी रह गया
रात वह ख़त्म हो गयी, हमारा साथ छुट गया
हम दोनों के इंतज़ार में, एक दुसरे ने दम तोड़ दिया
प्यार की आस में, आज भी बैठे हैं हम
कभी तो वह आएगी, प्यार की मुस्कान लेकर
कभी वो लौटकर आएगी
चार घडी थी वो दिन
मुस्कुराते हुए आयी
पहली नज़र में तूफान लाकर
मुझसे वो टकराई
ऐसे थे वो प्यार के लम्हे
मुझको तो मदहोश कर दिया
चल अकेला साथ चल अब
उसने मुझे प्रपोज़ कर दिया
मैं था नाज़ुक नासमझ
बहकावे में आ गया
क्या पता वह चार घड़ी
सुबह को चली जाएगी
सुबह सुबह होने वाली थी
वह भी तो जाने वाली थी
उसने मुझे विश्वाश दिलाया
मैं फिर मिलने आउंगी
उसके इंतज़ार में आज
कितने घड़िया बीत गयी
आंस लगाकर बैठा हूँ
कभी वो लौटकर आएगी
मुस्कुराते हुए आयी
पहली नज़र में तूफान लाकर
मुझसे वो टकराई
ऐसे थे वो प्यार के लम्हे
मुझको तो मदहोश कर दिया
चल अकेला साथ चल अब
उसने मुझे प्रपोज़ कर दिया
मैं था नाज़ुक नासमझ
बहकावे में आ गया
क्या पता वह चार घड़ी
सुबह को चली जाएगी
सुबह सुबह होने वाली थी
वह भी तो जाने वाली थी
उसने मुझे विश्वाश दिलाया
मैं फिर मिलने आउंगी
उसके इंतज़ार में आज
कितने घड़िया बीत गयी
आंस लगाकर बैठा हूँ
कभी वो लौटकर आएगी
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