भारत की राजभाषा हिंदी दुनिया में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। बहुभाषी भारत के हिन्दी भाषी राज्यों की आबादी 46 करोड़ से अधिक है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की 1.2 अरब आबादी में से 41.03 फीसदी की मातृभाषा हिंदी है।
हिन्दी को दूसरी भाषा के तौर पर इस्तेमाल करने वाले अन्य भारतीयों को मिला लिया जाए तो देश के लगभग 75 प्रतिशत लोग हिन्दी बोल सकते हैं। भारत के इन 75 प्रतिशत हिंदी भाषियों सहित पूरी दुनिया में तकरीबन 80 करोड़ लोग ऐसे हैं जो इसे बोल या समझ सकते हैं।
भारत के अलावा इसे नेपाल, मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, यूगांडा, दक्षिण अफ्रीका, कैरिबियन देशों, ट्रिनिडाड एवं टोबेगो और कनाडा आदि में बोलने वालों की अच्छी खासी संख्या है। इसके आलावा इंग्लैंड, अमेरिका, मध्य एशिया में भी इसे बोलने और समझने वाले अच्छे खासे लोग हैं।
इसे देखते हुए हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। वैसे यूनेस्को की सात भाषाओं में हिन्दी पहले से ही शामिल है।
वैश्वीकरण और भारत के बढ़ते रूतबे के साथ पिछले कुछ सालों में हिन्दी के प्रति विश्व के लोगों की रूचि खासी बढ़ी है। देश का दूसरे देशों के साथ बढ़ता व्यापार भी इसका एक कारण है।
हिन्दी के प्रति दुनिया की बढ़ती चाहत का एक नमूना यही है कि आज विश्व के लगभग डेढ़ सौ विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ी और पढ़ाई जा रही है। विभिन्न देशों के 91 विश्वविद्यालयों में हिन्दी चेयर है।
इसके बढ़ते रुतबे की एक बानगी यही है कि आज चीन के छह, जर्मनी के सात, ब्रिटेन के चार, अमेरिका के पांच, कनाडा के तीन और रूस, इटली, हंगरी, फ्रांस तथा जापान के दो दो विश्वविद्यालयों सहित तकरीबन 150 विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में यह किसी न किसी रूप में शामिल है।
विश्व में हिन्दी के प्रसार को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस महीने की 22 से 25 तारीख तक दक्षिण अफ्रिका के जोहांसबर्ग में नौंवा विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित किया गया है। भारत और दक्षिण अफ्रीका की ओर से इसका संयुक्त उद्घाटन होगा।
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