उत्तराखंड के नैनीताल के पास एक छोटे से कस्बे कैंची में एक छोटा सा मंदिर और एक आश्रम है. आध्यात्मिक गुरु नीम करोली बाबा के इस आश्रम का नाम शायद आपने कभी सुना नहीं होगा. लेकिन आजकल ये काफी चर्चा में है.
इसका कारण है फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग. हाल ही में फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से टाउनहॉल में हुई बातचीत के दौरान एक खुलासा करते हुए कहा था कि बुरे समय में उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने के बाद प्रेरणा मिली थी. दरअसल यह वही मंदिर है जहां फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग आए थे.
जुकरबर्ग के मुताबिक जब उनकी कंपनी एक मुश्किल दौर में थी, तब ऐपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने उन्हें भारत के एक आश्रम में जाने की सलाह दी थी. अपनी यात्रा के बारे में उन्होंने कहा था कि, "मैं भारत में एक महीने तक घूमा और देखा कि लोग किस तरह से एक-दूसरे से जुड़े हैं. मुझे अहसास हुआ कि अगर सबके पास जुड़ने की क्षमता हो तो दुनिया कितनी बेहतर हो सकती है. इसे मुझे फेसबुक को आगे बढ़ाने में मदद मिली."
जुकरबर्ग को सलाह देने वाले ऐपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने भी उसी मंदिर में आकर प्रेरणा ली थी.
स्थानीय लोगों के अनुसार सन 1964 में आगरा के पास फिरोजाबाद के गांव अकबरपुर में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा (असली नाम) यहाँ तपस्या करने आए थे. उन्हीं के प्रयासों से इस मंदिर का उद्धार हुआ था. बताया जाता है की फर्रूखाबाद के गांव नीम करौली में उन्होंने कठिन तपस्य़ा की थी जिस कारण वे बाबा नीम करौली कहलाने लगे. फीरोजाबाद से नैनीताल आने के बाद सन 1964 के जून माह में उन्होंने कैंची धाम मंदिर की स्थापना की थी.
शुरू में आर्थिक रूप से बेहद कमजोर इस मंदिर में बाबा ने भक्ति और आध्यात्म के बलबूते कई आश्चर्यजनक चमत्कार किए थे. आश्रम, एक छोटी नदी के किनारे पर बना हुआ है और जंगली पहाड़ों से घिरा है. आश्रम में पांच मंदिर हैं, जिसमें से एक बाबा नीब किरोड़ी के प्रिय हनुमान का है. बाबा के कई भक्त मानते हैं कि वह खुद हनुमान के अवतार थे. बाबा के भक्तों ने देशभर में लगभग 48 मंदिर उनकी याद में बनाए हैं.
आश्रम से जुड़े ट्रस्ट के सेक्रेटरी विनोद जोशी जो बताते हैं कि गूगल की सामाजिक कामों से जुड़ी इकाई google.org से कॉल आया कि कोई मार्क एक दिन के लिए आश्रम में आएंगे. दरअसल तब फेसबुक लोगों की आदत में नहीं आया था और जोशी को यह पता भी नहीं था कि मार्क कौन हैं.
जोशी बताते हैं कि जकरबर्ग सिर्फ एक किताब के साथ यहां आए थे और उनके पास कपड़े भी नहीं थे. उन्होंने जो पैंट पहनी हुई थी वह घुटने पर फटी हुई थी. वे एक दिन के लिए आए थे लेकिन आंधी-तूफान के कारण दो दिन तक रूके. जिस समय जकरबर्ग यहां आए थे उस समय नीम करोली बाबा को मरे हुए 32 साल हो चुके थे. लेकिन अब भी यह मन्दिर कई हाई प्रोफाईल अमेरिकियों को आकर्षित करता है.
बाबा से प्रेरणा लेने वाली हस्तियों में हॉलीवुड स्टार जूलिया रॉबर्ट्स, बेहद लोकप्रिय किताब इमोशन इंटेलिजेंस के लेखक डेनियल गोलमैन, पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी, बिड़ला ग्रुप के जुगल किशोर बिड़ला और यहां तक कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी शामिल थे.
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