Tuesday, May 14, 2013

क्योकिँ माँ का कर्ज तो खुद भगवान भी नही चुका सकता..!!

शाम को रसोई मेँ माँ खाना बना रही थी. तभी उसका छोटा लडका उसके पास आया.. और एक कागज देता है. जिसमेँ कुछ लिखा होता है. माँ वो कागज पढती है.. जिसमेँ लिखा होता हे…..

1- तेरे लिए दुकान से सामान लाया उस के लिए........रुपये 05.00
2-घास काटने के.......रुपये 50.00
3- इस सप्ताह का आपका रुम साफ करने के.......रुपये 10.00
4- जब तु कही बाहर जाती थी तब, छोटे भाई को सचेतने के.........रुपये 15.00
5- कचरा बाहर डालने के ........रुपये 05.00
6- बगीचा साफ करने और घास उठाने के.........रुपय­े 15.00
7- अच्छा परिणाम लाने के लिए........... रुपये 50.00

कुल.......रुपये150.00

अच्छा, माँ वहा खडे लडके का देखती है..........
बाद माँ पेन उठाती है… और उसी लिखे कागज को घुमाती है और उसी तरह लिखती है...

1- जब तु मेरे पेट मेँ था तब मैने तुझे 9 महीने कोख मेँ रखा…….उसका एक
भी पैसा नही..
2- जब तु बीमार था... पुरी रात तेरे पास बेठी रही और तेरी सेवा,
भगवान से प्रार्थना करती रही.......उसका एक भी पैसा नही.
3- तुने बहुत नयी वस्तु सीखी उसके लिए मेरे आँसु गिराये....उसका भी एक
पैसा नही.
4- तेरे खिलोने , कपडे, खाया-पिलाया और तेरा नाक पौँछा.....उसका भी एक
पैसा नही.
5- मैँ खुद भुखी रहकर तुझे खिलाया , मैँ गीले मेँ सोई लेकिन तुजे सुखे मेँ
सुलाया....उसका भी एक पैसा नही...

बेटा, इन सब से तुलना करेगा तो तुझे सब जवाब सिर्फ " मेरा प्रेम " ही मिलेगा...
जब वह लडका उसकी माँ का लिखा हुआ कागज पढता है तब, उसकी आँखो मेँ से बडे-बडे आँसु गिरते है... और उसकी माँ के सामने देखकर कहता है ,”माँ, मेँ
भी तुमको ईतना ही चाहता” फिर लडका उसके हाथ से पेन लेकर…
दिलगीरी से लिखता है..

”माँगा था उस से कई गुना ज्यादा मिल गया है.”

बोध : माँ-बाप कि कीमत क्या होती है वो समज तो बालक माँ-बाप बनता है
भी मालुम चलता है.. जीवन मेँ माँगने से ज्यादा देना सिखो……. अगर आप के माता-पिता है..!तो..उनको प्रेम करो, आदर करो और अपनी भुलो कि
क्षमा माँगो! उनको यह आभास कराओ कि आप हर समय उनके पास हो...!

क्योकिँ माँ का कर्ज तो खुद भगवान भी नही चुका सकता..!!

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