१. सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु को नमन करते हुए जो तीनो लोको के स्वामी है, मै एक राज्य के लिए नीति शास्त्र के सिद्धांतों को कहता हूँ. अनेक शास्त्रों का आधार ले कर मै यह सूत्र कह रहा हूँ.
1. Humbly bowing down before the almighty Lord Sri Vishnu,
the Lord of the three worlds, I recite maxims of the science of political
ethics (niti) selected from the various satras (scriptures).
2. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अतयंत वैभवशाली कर्त्तव्य के सिद्धांत जात होगे. उसे पता चलेगा की किस बात को करना चाहिए और िकसे नहीं करना चािहए. उसे पता चलेगा की भला कया है और बुरा कया है. उसे सर्वोत्तम का भी ज्ञान होगा.
2. That man who by the study of these maxims from the satras acquires a knowledge of the most celebrated principles of duty, and understands what ought and what ought not to be followed, and what is good and what is bad, is most excellent.
३. इसीिलए लोगो का भला करने के िलए मै उस बात को कहता हूँ की िजससे लोग सभी बातो को सही परिपेक्ष्य मे देखेगे.
3.Therefore
with an eye to the public good, I shall speak that which, when understood, will
lead to an understanding of things in their proper perspective.
४. एक विद्वान भी दुखी हो जाता है यिद वह िकसी मुर्ख को उपदेश देता है, यदि वह एक दुष्ट पत्नी का पालन करता है या िकसी दुखी व्यक्ति के साथ अतयंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना लेता है.
4.Even a pandit comes to grief by giving instruction to a foolish disciple, by maintaining a wicked wife, and by excessive familiarity with the miserable.
५. दुष्ट पती, झूठा मित्र , बदमाश नौकर और सर्प के साथ िनवास साक्षात् मृत्यु के समान है.
5. A wicked wife, a false friend, a saucy servant and living in a house with a serpent in it are nothing but death.
5. A wicked wife, a false friend, a saucy servant and living in a house with a serpent in it are nothing but death.
६ . व्यक्ति को आने वाली मुसीबतो से िनपटकर धन संचय करना चािहए. उसे धन को त्यागकर पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए. लेिकन यिद आत्मा की सुरक्षा की बात आती है तो उसे धन और पती दोनो को गौण समझना चािहए.
6.
One should save his money against hard times, save his wife at the sacrifice of
his riches, but invariably one should save his soul even at the sacrifice of
his wife and riches.
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